भारतीय उपमहाद्वीप के जन-जीवन पर सागर का गहरा प्रभाव है। इस परिक्षेत्र की अर्थव्यवस्था मानसून से प्रभावित होती है जो महासागरीय प्रक्रियाओं का परिणाम है। महासागरीय प्रक्रियाएं प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से हमारे जलवायु एवं वातावरण को नियंत्रित करती है। साथ-ही-साथ यह हमें प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध कराती है एवं व्यापार को भी बढ़ावा देती है। महासागरीय प्रकियाओं के अनेक दुष्प्रभाव भी होते हैं जिससे रक्षा हमारी अनिवार्यता बन गई है। हमारा यह संगठन जीवन एवं प्रकृति को इस हानि से बचाने के लिए कृतसंकल्प है। समुद्री प्रक्रियाओं का अध्ययन महत्वपूर्ण है एवं अंतर्विषयक है। अत: महासागर पर अनुसंधान करने वाले सभी समुद्री-विज्ञानियों के बीच एक संवाद की आवश्यकता है। संवाद में सामंजस्य के लिए एक सार्वजनिक सुलभ भाषा के माध्यम की आवश्यकता है। इस बहुभाषी देश में जनमानस द्वारा सार्वजनिक बोलीजाने वाली व हमारी राजभाषा हिन्दी सर्वोत्तम माध्यम है। अत: इस संगोष्ठी के सम्पूर्ण वैचारिक आदान-प्रदान हेतु हिन्दी भाषा का चयन किया गया है। |
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भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केन्द्र (इंकॅाइस), हैदराबाद में दिनांक 28-29 सितम्बर, 2015 के दौरान “हमारे जीवन में सागर की भूमिका : वैज्ञानिक दृष्टिकोण” नामक विषय पर हिंदी में एक राष्ट्रीय हिंदी वैज्ञानिक संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। |