वैज्ञानिक संगोष्ठी हिंदी में क्यों ?

हमारे देश में हिंदी को राजभाषा का गौरव प्राप्त है। वास्तव में, देश में हिंदी के बढ़ते प्रयोग ने आज यह सिद्ध कर दिया है कि यह भाषा न केवल राजभाषा, अपितु राष्ट्रभाषा एवं जनसंपर्क की भाषा भी है। प्रायः सुनने में आता है कि हिंदी आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को अभिव्यक्त करने में सक्षम नहीं है। यह धारणा असत्य, निराधार एवं भ्रामक है। हिंदी पूर्णतया वैज्ञानिक भाषा है तथा सभी प्रकार की प्रगतिपरक संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान की अभिव्यक्ति एवं संप्रेषण के लिए सर्वथा सक्षम है। सत्य तो यह है कि खड़ी बोली हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन की परंपरा लगभग 200 साल पुरानी है। वैज्ञानिक शोधकार्य मुख्यतः अंग्रेजी भाषा के माध्यम से होने के कारण वैज्ञानिक उपलब्धियों की जानकारी समाज के मात्र उच्च शिक्षित (अंग्रेजी माध्यम एवं शोधकर्ता वैज्ञानिक वर्ग) तक ही सीमित रह जाती है। विदित हो कि अनुसंधान देश और समाज के सभी वर्गों के लिए किए जाते हैं तो जनमानस तक इसकी जानकारी पहुँचाना तथा उन्हें वैज्ञानिक उपलब्धियों से लाभान्वित कराना हमारा नैतिक दायित्व है। अतः इस वैज्ञानिक संगोष्ठी का लक्ष्य संगोष्ठी में चर्चा किए गए वैज्ञानिक विषयों को जन-साधारण तक पहुंचाना है, जो हिंदी द्वारा ही संभव है।